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श्री भीडभञ्जन महादेवो विजयतेतराम् श्रीमत्स्वामी विश्वात्मान्द गिरि

ॐ नमः शिवाय बैंक

स्वामीजी महाराज नाम जप पर बहुत अधिक बल देते हैं। इसीलिये उन्होंने ॐ नमः शिवाय बैंक नामक एक अनुष्ठान का आरम्भ किया है जिसमें भक्तगणों एवं इच्छित व्यक्तियों को ॐ नमः शिवाय मन्त्र लिखने के लिये खाली पुस्तकें दी जाती है जो वे नित्य नियमपूर्वक अथवा समयानुसार भरकर वापस करते है जिसे आश्रम में उनके नाम से जमा किया जाता है।

ॐ नमः शिवाय मन्त्र का दशांश सहित पुरश्चरण करने के लिये 6,70,000 जप करने पड़ते हैं जोकि 134 पुस्तको में पूरा होता है।

नाम स्मरण की इतनी महिमा है कि स्वयं गोस्वामी तुलसीदास जी ने भी श्री राम चरित मानस में कहा है कि -

कलियुग केवल नाम अधारा। सुमिरि सुमिरि नर उतरहिं पारा॥
कहँ लगि कहौं मैं नाम बड़ाई। राम न सकहिं नाम गुण गाई॥

यदि इस दैवी अनुष्ठान में किसी की इच्छा हो तो वह आश्रम से सम्पर्क कर सकता है।