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श्री भीडभञ्जन महादेवो विजयतेतराम् श्रीमत्स्वामी विश्वात्मान्द गिरि

स्वामीजी का व्यक्तित्व

स्वामीजी महाराज का व्यक्तित्व अत्यन्त निश्छल तथा प्रेमपूर्ण हैं। साधकों एवं अध्यात्म में जिज्ञासा रखने वालों से उन्हें विशेष स्नेह हैं। वे मृदुभाषी तथा नियमों से प्रेम करने वाले हैं, समय अनुशासन जैसे उनके जीवन का एक अंग है। वे अपने अनुयायीओं को भी कहते हैं कि “साधु संतो के क्षण एवं अनाज के कण का बिगाड़ नहीं होना चाहिये” “जो समय का मूल्य नहीं करता, समय उसका मूल्य नहीं करता”।

स्वामीजी के व्यक्तित्व का एक विशेष पहलु यह है कि उनसे किसी का दुःख देखा नही जाता तथा जो भी उनके समक्ष कोई उचित माँग लेकर आता है तो उसे वे कभी निराश नही लौटाते। बिमार, रोगीयों के प्रति उनकी विशेष करुणा व ध्यान बना रहता है।

आज इस आयु में भी स्वामीजी का जीवन साधको के लिये एक उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता है।