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श्री भीडभञ्जन महादेवो विजयतेतराम् श्रीमत्स्वामी विश्वात्मान्द गिरि


॥स्वामीजी अपने नित्य नियमानुसार संध्या समय में गङ्गा दर्शन व आचमन करते हुये॥